जब कोई शिशु जन्म लेता है, तो वह न सिर्फ आपके घर में खुशियां लाता है, बल्कि ढेर सारी जिम्मेदारियां भी। उनमें सबसे पहली और सबसे जरूरी जिम्मेदारी है – नवजात के लिए जरूरी टीकाकरण।
टीके यानी वैक्सीनेशन, बच्चे के शरीर को खतरनाक बीमारियों से बचाने की एक मजबूत दीवार है। यह सिर्फ डॉक्टर की सिफारिश नहीं है, बल्कि हर समझदार पैरेंट का पहला कदम होना चाहिए।
टीकाकरण क्यों है जरूरी?
नवजात शिशु का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। वो आसानी से किसी भी वायरस या बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकता है। अगर समय पर वैक्सीन नहीं दी गई, तो वह बीमारियों से जूझ सकता है, जिनका इलाज मुश्किल या असंभव हो सकता है।
टीकाकरण से क्या होता है?
- शरीर को बीमारियों से लड़ने की क्षमता मिलती है
- सामूहिक प्रतिरक्षा (Herd Immunity) बनती है
- रोगों की गंभीरता और मृत्यु दर में कमी आती है
- बच्चे को स्कूल और ट्रैवल के लिए प्रमाणित सुरक्षा मिलती है
जन्म से 5 साल तक का वैक्सीनेशन शेड्यूल (सरकारी गाइडलाइन पर आधारित)
जन्म के समय दिए जाने वाले टीके
टीका | रोग | कब दिया जाता है |
---|---|---|
BCG | ट्यूबरकुलोसिस | जन्म के समय |
OPV-0 | पोलियो | जन्म के समय |
हेपेटाइटिस B | लीवर संक्रमण | जन्म के समय |
6, 10 और 14 सप्ताह पर
- DPT (डिप्थीरिया, टिटनस, काली खांसी)
- IPV (पोलियो का इंजेक्शन)
- Hib (हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा B)
- Rotavirus (डायरिया से सुरक्षा)
- PCV (न्यूमोनिया और मैनिंजाइटिस)
6 से 9 महीने
- हेपेटाइटिस B बूस्टर
- OPV अतिरिक्त डोज
9 से 12 महीने
- MR (खसरा-रूबेला वैक्सीन)
- विटामिन A की पहली खुराक
16 से 24 महीने
- DPT बूस्टर
- MR बूस्टर
- OPV बूस्टर
- विटामिन A की आगे की खुराक
4 से 6 साल
- DPT अंतिम बूस्टर
- टायफॉइड टीका
सरकारी वैक्सीनेशन बनाम प्राइवेट टीके – क्या फर्क है?
सरकारी वैक्सीनेशन:
- बिल्कुल मुफ्त
- हर ज़रूरी बीमारी को कवर करता है
- सरकारी अस्पताल और आंगनवाड़ी केंद्र में उपलब्ध
प्राइवेट वैक्सीनेशन:
- वैकल्पिक और अतिरिक्त सुरक्षा
- वैक्सीन की वैरायटी ज्यादा
- उदाहरण: चिकनपॉक्स, फ्लू, मैनिंजाइटिस
सलाह: अगर आप अतिरिक्त सुरक्षा चाहते हैं और बजट है, तो प्राइवेट टीके भी शामिल कर सकते हैं – लेकिन डॉक्टर की सलाह से।
🔬 टीके शरीर में कैसे काम करते हैं?
जब बच्चे को टीका दिया जाता है, तो उसमें रोग के मरे हुए या कमजोर बैक्टीरिया डाले जाते हैं। ये शरीर को सिखाते हैं कि असली संक्रमण के समय कैसे लड़ना है। इसे इम्यून मेमोरी कहते हैं – यानी शरीर भविष्य में तैयार रहता है।
टीकाकरण के बाद क्या दिक्कतें हो सकती हैं?
टीके के बाद कुछ हल्के लक्षण आम होते हैं:
- बुखार
- इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन
- चिड़चिड़ापन
- भूख में कमी
घरेलू देखभाल:
- डॉक्टर की सलाह से पेरासिटामोल दें
- बर्फ की सिकाई करें
- स्तनपान जारी रखें
- बच्चे को आराम दें
अगर बुखार 3 दिन से ज्यादा रहे या शरीर पर दाने हों – तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
✅ टीकाकरण कार्ड क्यों ज़रूरी है?
टीकाकरण कार्ड एक हेल्थ पासपोर्ट जैसा है। इसमें सभी वैक्सीनेशन की तारीख और जानकारी होती है।
फायदे:
- स्कूल एडमिशन में जरूरी
- विदेश यात्रा में जरूरी
- डॉक्टर को भविष्य में इलाज में मदद
टिप: कार्ड की एक डिजिटल कॉपी बना लें और गूगल ड्राइव या फोन में सेव रखें।
FAQs – नवजात के लिए जरूरी टीकाकरण से जुड़े सवाल
1. क्या वैक्सीनेशन से बच्चे को बुखार आना सामान्य है?
हाँ, यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का संकेत है। पेरासिटामोल से ठीक हो जाता है।
2. अगर कोई टीका मिस हो जाए तो?
जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें। लेट डोज भी असरदार होता है।
3. क्या प्राइवेट वैक्सीन जरूरी है?
जरूरी नहीं, लेकिन कुछ अतिरिक्त बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।
4. क्या हर वैक्सीन इंजेक्शन से दी जाती है?
नहीं, जैसे OPV और रोटावायरस ओरल वैक्सीन हैं।
5. क्या सभी सरकारी अस्पतालों में वैक्सीनेशन होता है?
हाँ, PHC, CHC, और आंगनवाड़ी केंद्रों में मुफ्त उपलब्ध है।
6. क्या एक ही दिन में कई टीके दिए जा सकते हैं?
जी हाँ, शेड्यूल के अनुसार एक दिन में 2-3 टीके देना सुरक्षित है।
अंतिम शब्द: बच्चे की सेहत, आपकी समझदारी से जुड़ी है
एक पैरेंट के रूप में आप जो सबसे बड़ा गिफ्ट अपने नवजात को दे सकते हैं, वो है—बीमारियों से सुरक्षा। और वो सुरक्षा सिर्फ समय पर टीकाकरण से संभव है।
यह एक छोटा सा कदम है, लेकिन इसका असर जीवनभर रहता है। टीके ना सिर्फ आपके बच्चे को, बल्कि आपके परिवार और समाज को भी सुरक्षित रखते हैं।
नवजात के लिए जरूरी टीकाकरण की मास्टर गाइड – कब, कौन सा टीका और क्यों जरूरी है
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